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आलोक वर्मा किसी गांव में एक बनिया रहता था। उसके दो बेटे विजय और संजय थे। विजय जब कुछ बड़ा हुआ तो उसके माता-पिता की मौत हो गई। माता-पिता की मृत्यु के बाद विजय ने छोटे भाई संजय का लालन-पालन किया। बड़े भाई के दुलार ने छोटे को कभी माता-पिता की कमी महसूस नहीं होने दिया। इस लाड़ प्यार ने उसे आलसी और कामचोर बना दिया। संजय की गलतियों को विजय  हमेशा बच्चा समझकर इग्नोर कर देता और कुछ नहीं बोलता। ‌विजय ने पिता के पुश्तैनी कामकाज को संभाल लिया। पिता की दुकान को नये सिरे से जमाया और जो थोड़ी बहुत जमीन थी उस पर खेती करना शुरू कर दिया। जब घर की स्थिति थोड़ी ठीक हुई तो लोगों ने विजय की शादी सुशीला नामक एक लड़की से कर दी। अब बाहर की जिम्मेदारी विजय और घर के भीतर की जिम्मेदारी सुशीला ने संभाल ‌लिया। विजय दुकान चला जाता। सुशीला घर में रहती और सब काम देखती। लेकिन छोटे भाई संजय की दिनचर्या में कोई बदलाव नहीं आया। उसका मन पढ़ाई में  नहीं लगता था। धीरे- धीरे उसने स्कूल जाना बंद कर दिया। भाभी ने उसे बहुतेरे तरीके से समझाने की कोशिश की कि वह पढ़ाई जारी रखे। लेकिन संजय कुछ सुनने के लि ए तैयार नहीं था