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तीसरा आदमी कौन है

- परशुराम  हम अभी कठिन और भयानक समय से गुजर रहे हैं। वैसे पहले भी देश की भौतिक और राजनीतिक परिस्थितियों तकरीबन ऐसी ही थीं किन्तु अभी हमारी निजी अस्मिता भी दांव पर लगी है। मीडिया सरकारी मौर्चा और प्रवक्ता बन गया है।  प्रायः सभी राजनीतिक पार्टियां कमोवेश पीआर एजेंसी की सेवाएं लेकर मुख्यधारा मीडिया में अपने लिए जगह सुनिश्चित करने में लगी हैं। इसमें बाजार तंत्र की प्रमुख भूमिका है। मीडिया के ऊपर भी एक सत्ता है जिसे साधे बिना राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक रूप से खबर का हिस्सा नहीं बना जा सकता। इसे सभी जानते हैं। सिद्धांत के स्तर पर सही किन्तु अपने व्यवहार और अनुभव के आधार पर प्रायः सभी लोग मित्र हैं, विशेषकर वे यानी मध्यम वर्ग जो इन्हें देखता है और प्रभावित भी होता है।   मैं कुछ दूसरी बात करना चाहता हूं। मैं हिन्दी के एक महत्वपूर्ण, चर्चित और लोकप्रिय कव‌ि धूमिल की कविता के माध्यम से अपनी बात रखना चाहूंगा। धूमिल साठ के दशक के कवि हैं। रचना रचनाकार की संवेदनशीलता, कल्पनाशीलता और सृजनशीलता का फल है। मैं उनकी रचना के माध्यम से अपनी बात इसलिए रखना चाहता हूं कि साठ-सत्तर के दशक में भी आज क