शक्ति वर्मा काव्य सृजन प्रक्रिया दो प्रमुख आधारों पर टिकी होती है। रचनाकार अपने अनुभवों द्वारा जीवन उद्देश्यों को काव्यरूप देकर संप्रेषणीय आधार प्रदान करता है। यह संप्रेषण काव्यगत सृजनात्मक विचारशीलता से सिद्ध होता है। डॉ मधुकांत की आलोच्य कृति 'मेरी प्रिय कविताएं' में 150 कविताएं संकलित हैं। 207 पेज की इस पुस्तक में कवि ने मानवीय अनुभवों और के साथ-साथ मानव और प्राकृतिक दुनिया के अलग-अलग पड़ावों के मार्मिक अनुभव प्रसंगों को उभारने वाले बिम्बों का प्रयोग किया है। इस संग्रह की कविताओं में लोक को भाषा के स्तर पर पिरोया गया है। इनमें कई कविताएं लोक अनुभव से निकली हुई हैं। कठोर अनुभव और सच्चाइयों से लबरेज बिंब कविता में ढलते हैं। पुस्तक की अधिकांश कविताएं छंदमुक्त हैं जो गैर -बराबरी पर आधारित व्यवस्था को चुनौती ही नहीं देतीं बल्कि पाठकों को सामाजिक सरोकार तक के लिए भी अपने कार्यभार को चिह्नित करती हैं। इन कविताओं की सार्थकता उनके सीधे सच्चेपन में हैं। ये कविताएं न कृतिम हैं और न ही सजावटी। इनमें कविि के मन की अंतरव्यथा उजागर हुई है जहां जीवन सिर्फ खुद के अस...